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कभी ख़ुशी,कभी गम,कभी आँखें है नम तो कभी है तारा रमपम
ऐ जिंदगी तेरे हर कदम में दीखता कुछ और है
हर बात का अपना इक मिज़ाज़ है और उसी का दमखम है
कभी ख़ुशी,कभी गम,कभी आँखें है नाम तो कभी है तारा रमपम
तेरे मौसम,तेरे रिश्ते,तेरी रवायतें वाह क्या हिज़रत है
उत्सव आने का हर्ष और उत्सव मनाने का संघर्ष
उत्सव के इस मौसम में लगी वही उत्सव की ही शर्त है
तारीखों का ये हिज़रत कल किसी और प्रदेश में
बेताब है उत्सव के इसी शर्त को निभाने में
कभी ख़ुशी,कभी गम,कभी आँखें है नम तो कभी है तारा रमपम
ऐ जिंदगी तेरे हर कदम में दीखता कुछ और है
हर बात का अपना इक मिज़ाज़ है और उसी का दमखम है
पीढ़ियां भी तो हिज़रत ही है जो रवायतों में है दिखती
और इन्ही रवायतों में दीखता है वो गुमां,वो तल्खी
कही इसकी शर्त है,कही इसका हर्ष है और कही संघर्ष
आज हिज़रत पर बंदिशे है बहोत,रवायतें तो कम होंगी ही
शर्त लगा बैठा संघर्ष से,हर्ष का क्या
कभी ख़ुशी,कभी गम,कभी आँखें है नम तो कभी है तारा रमपम
ऐ जिंदगी तेरे हर कदम में दीखता कुछ और है
हर बात का अपना इक मिज़ाज़ है और उसी का दमखम है…
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