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श्री कृष्ण की राधा अब संसद में भी

Negative Attitude
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विवाद का मुख्य कारण गाने में राधा के लिए ‘सेक्सी’ शब्द है। ये समझ में नहीं आ रहा है की क्या गाने में राधा के लिए ‘सेक्सी’ शब्द का मुद्दा हिंदुत्व की गरिमा को बचाने के लिए उठाया जा रहा है या इस तरह के भावनात्मक मुद्दों से आगामी चुनाव के लिए हिन्दुवादी चरमपंथ सोच की नव्ज टटोलने की कोशिश की जा रही है? क्योंकि हिंदुत्व और भाषाओ/शब्दों की विविधताएँ दो अलग विषय है और इनको अलग अलग एवं खंडित ऐनक के जरिये देखना अपने आप और पुरे हिन्दू समाज को गुमराह करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है? हिंदुत्व के इन्ही ठेकेदारों ने जहां फिल्म में राधा को सेक्सी बताने के मुद्दे को संसद में उठाने की तैयारी कर रही है, वहीं उनके ही सांसद राम जेठमलानी ने भगवान राम के बारे में कहा कि भगवान राम एक बेहद बुरे पति थे।मैं उन्हें बिल्कुल …बिल्कुल पसंद नहीं करता। कोई मछुवारों के कहने पर अपनी पत्नी को वनवास कैसे दे सकता है।लक्ष्मण तो और बुरे थे। लक्ष्मण की निगरानी में ही सीता का अपहरण हुआ और जब राम ने उन्हें सीता को ढूंढने के लिए कहा तो उन्होंने यह कहते हुए बहाना बना लिया कि वह उनकी भाभी थीं। उन्होंने कभी उनका चेहरा नहीं देखा, इसलिए वह उन्हें पहचान नहीं पाएंगे।


हिन्दू धर्म की एक अति महत्वपूर्ण स्तम्भ भगवान श्री राम जिनके आदर्श हिन्दू धर्म के दीप को सदैब प्रज्ज्वलित रखता है, आज हिन्दू धर्म की रोटी सेंक हिंदुत्व के गरिमा की रक्षक होने का दावा करने वाली सेना ही भगवान श्री रामकोहिन्दू धर्म का एक बेहद बुरा किरदार मानती है। धर्म के बारे में लोगो की अलग अलग विचार हो सकती है परन्तु हिन्दू धर्म के रक्षको द्वारा ही इस तरह का सार्वजानिक बयान हिन्दू धर्म के बजूद के ऊपर एक तीखा प्रहार है? यह समस्त हिन्दू धर्म के अनुयायियों को कलंकित करता है? दीपावली पर्व भी भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस आने और असत्य पर सत्य की विजय का जश्न है और माननीय सांसद श्री राम जेठमलानी और उनके सहकर्मियों द्वारा उल्लेखित भगवान राम के चरित्र को देखते हुए हिन्दु-स्थान में दीपावली पर्व प्रतिबंधित हो जानी चाहिए? हिन्दु-स्थान में हिन्दू धर्म की ये दुर्दशा देखकर आर्यावर्त की गरिमामयी इतिहास भी आज फूट फूट कर रो रही होगी और ये बोलती होगा की सत्ता और लोकप्रियता के लोभियों से भरे इस आर्यावर्त गणराज्य ने आज हिन्दू धर्म को ही सरेआम नीलाम करने को आतुर है?


हिन्दू धर्म की गरिमा तार तार हुई है? पर हम लोकतंत्र रुपी दुनिया में जी रहे है और यहाँ अभिव्यक्ति की आजादी हर ख़ास ओ आम को है हाँ ये बात दीगर है इस अधिकार के मायने क्या होनी चाहिए-इस आजादी का सदुपयोग जनकल्याण के लिए करना या बर्बादी की बुनियाद मजबूत करना?आज राधा के नाम पर हिन्दू राजनीती के लिए सस्ती लोकप्रियता को व्यग्र मनुष्यों की यही प्रजाति होगी जिन्होंने प्राचीन काल में दीनहीन की यह परिभाषा ‘शूद्र,गंवार,ढोल,पशु,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी’ तय की होगी। पुरुषो की इसी प्रजातियों से उत्पन्न हुए अनेक महाकवियों की रचनाएँ पढेंगे तो आपको इन रचनाओं में स्त्रियों को श्रृंगार रस की प्रमुख नायिका के तौर पर एकव्याख्यात्मक निबंध मात्र दिखाई देगा ? स्पष्ट रूप से अगर ये कहें की इन कवियों की रचनाओ का सूत्र नारी,रूप,श्रृंगार एवं कवि यानी कविता ही रहा है,बिलकुल गलत नहीं होगा।इतिहास गवाह है की इंसानों ने नारी को हमेशा संयोग श्रृंगार,विप्रलंभ श्रृंगार की कठपुतली के तौर पर प्रदर्शित करता आया है। आज के युग और इतिहास में वर्णित रचनाओं में सिर्फ यही अंतर है की आज नारी मोह वजहों और उससे होने वाले लाभ से प्रेरित हो उमड़ता है और प्राचीन काल के महाकवियों संसद में परिचय के कैसे बरक़रार रखी जा सकती? राजनितिक त्रिया चरित्र से कामासक्त इन योगियों के अनर्थक,निराधार राधान्दोलन की अभिलाषा से राधा नाम,राधा भाव,हिन्दू धर्म एवं हिन्दु-स्थान के समस्त स्थानीय निवासी को शर्मशार किया है?

आप सभी को  दीपावली की अग्रिम बधाई..शुभकामनाएं..मंगलकामनाएं !जय श्री कृष्ण!!

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