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कोई सम्बन्ध नहीं रहा।आवाज़ उठानी है तो कुछ ऐसे मुद्दे पे उठाये जिससे समाज की हस्ती बढे,जनकल्याण की स्तम्भ मजबूत हो? अगर इन तुच्छ मुद्दों पे आवाज़ उठनी शुरू हो गयी तो जिंदगी उबाऊ प्रतीत होने लगेगी? सच तो यह है की हमारे देश में बोलने की आजादी का कुछ ज्यादा ही उपयोग हो रहा है जिसका लाभ सिर्फ और सिर्फ बेकिंग न्यूज़ को व्यग्र मीडिया उठा रही है। राजनीती,भ्रस्टाचार एवं धर्म के समक्ष आम लोग की समस्याए तो बस दफ्न होकर रह गयी है। लोकप्रियता या राजनीती के लिए धर्म या इश्वर का भावनात्मक दुरूपयोग नहीं होना चाहिए और अगर ऐसा हो भी तो इस पर कोई तबज्जो नहीं दिया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई न्यायलय में लंबित है और माननीय न्यायाधीशगण भी ‘सेक्सी’ शब्द के अर्थ पे ही मथापच्ची करने वाले है जिस तरह हम इस आलेख में कर रहे है। हिन्दू धर्म में अतिशयवादी के लिए कोई जगह नहीं है। यह मैं नहीं, हमारे धर्मग्रन्थ बोलते है। जय श्री कृष्ण!!
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