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वर्ल्ड म्यूजिक डे एंड Bombaim..

Negative Attitude
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आज विश्व संगीत दिवस(वर्ल्ड म्यूजिक डे) है.२१ जून को सारा संसार प्रकृति के संगीत रुपी इस जादुई उपहार को विश्व संगीत दिवस(वर्ल्ड म्यूजिक डे) के रूप में मनाता है.विश्व संगीत दिवस पहली बार फ्रांस में सन 1976 में एक अमेरिकी संगीतकार के द्वारा शुरुआत की गयी थी.तब से,यह दुनिया भर में लगभग 30 से अधिक देशों में अपने अपने तरीके से एक उत्सव के तरह मनाया जा रहा है.विश्व संगीत दिवस(वर्ल्ड म्यूजिक डे) का मुख्य नारा है Make Music. मनोरंजन उद्योग की राजधानी Bombaim आज म्यूजिक डे मानाने में मशरूफ दिखा तो जरूर मगर सख्त अनुशाषण की छत्रछाया कभी न सोने वाली Bombaim को थोडा समय पर सोने को मजबूर होते हुए.शायद यह कभी न सोने वाली Bombaim इसे विशेषण कहे या फिर गुमान,शब्दों को जिस तरह निचोड़े, यही इंडिया से हटके होने की इसकी परिपूर्णता को दर्शाता है नहीं तो देश की आर्थिक राजधानी एवं सबसे अमीर शहर होने के बाबजूद भी आज बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता में बाकी महानगरो के मुकाबले बहुत पीछे होता दिख रहा है. आदमी की स्थिति यहाँ मवेशियों से भी बदतर है. उदहारणस्वरुप Bombaim की लाइफलाइन लोकल ट्रेन को ही ले लीजिये, बस जीवन यापन की अनिवार्यता ही इस दम धुटने वाली ट्रेन का सफ़र झेलने की शक्ति प्रदान करती है. देश की आर्थिक राजधानी,सबसे अमीर शहर और कभी न सोने वाली Bombaim जैसे संबोधन ही इस अनुशासनहीन बिलासिता,बिंदासपन की देन है.शायद यही जिंदगी की अन्य पहलुओ/जरूरतों के बारे में सोचने से वंचित रखा और परिणामस्वरुप कभी न सोने वाली बोम्बैम अब समय पर सोने को मजबूर हो रही है.वर्ना यह रंगीन,जिंदादिल और ईमानदार Bombaim को रात में कभी शहंशाह की जरूरत नहीं पड़ती. धन्यवाद् तो हम सब को सहायक पुलिस आयुक्त श्री वसंत ढोबले साहब को देनी चाहिए जिन्होंने इस अनुशासनहीन बिलासिता,बिंदासपन से वसीभूत Bombaim को आज़ाद कराने का प्रयास किया है.आम जनता के पहुच से दूर दिन ब दिन कूल टैक्सी,वातानुकूलित कॉल टैक्सी की बढती तादाद विकसित होने का सबूत नहीं वल्कि विकसित न होने की मजबूरी दर्शाता है.भाषाओ की राजनीती से चोटिल इस शहर को अगर शंघाई बनना है तो रैप,मलाइका इत्यादि जैसे धुनों से सीख लेनी होगी.अफ्रीकन कंट्रीज की ये धुनें बिना किसी भेद भाव के हमारे भारतीय संगीत के साथ कितनी सहजता से मित्रता कर ली है.म्यूजिक डे है,चलिए अब थोडा म्यूजिक एन्जॉय कर लेते है.. हम आपको सिर्फ दो गानों के साथ आज के लिए विदा लेते है.एक श्री पी.वी.नरसिम्हा राव जी के समय रिलीज हुई थी और दूसरी हाल ही में यानि श्री मनमोहन सिंह जी के महंगाई डायन कार्यकाल में.कृपया इसे गुनगुनाये,महसूस करें और अपना कमेन्ट अवश्य दे…गुड नाईट-:)

१९९५- का कार्यकाल
फिल्म:- करन अर्जुन

गुपचुप गुपचुप गुपचुप
लाम्बा लाम्बा घूंघट,काहे को डाला
क्या कहीं कर आई तू मुंह काला रे
कानों में बतिया करती है सखियाँ
रात किया रे तुने कैसा घोटाला
छत पे सोया था बहनोई,मैं तन्ने समझ कर सो गयी
मुझको राणा जी माफ़ करना,गलती मारे से हो गयी..:)

और दूसरा
2012- का कार्यकाल
फिल्म:- विक्की डोनर

पानी दा ..रंग वेख के
अंखियाँ जो *हंजू रुल दे
अंखियाँ जो *हंजू रुल दे
माहिया न आया मेरा
माहिया न आया
रान्झाना न आया मेरा
माहिया न आया
आंखां दा ..नूर वेख के
अंखियाँ जो अंजू रुल दे

[यहाँ कन्फुज मत होइएगा माहि मतलब एम् एस धोनी भी होता है…]
{*हंजू मतलब आंशु}

…………..:-):)

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